पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय(पृ वि मं) सुएकीकृत कार्यक्रमों से पृथ्वी व्यवस्थायें संबंधित वर्षा तथा मौसम/ जलवायु प्राचलों, सागर स्थिति, भूकंप, सुनामी और अन्य घटनाओं संबंधित पूर्वानुमान की सर्वोच्छ साध्य सेवायें राश्ट्र को प्रदान करने हेतु अधिदेशित है। मंत्रालय, समुद्री संपत्तियों जीवित-गैर जीवित के अन्वेषण एवं शोषण संबंधित विज्ञान प्रौद्योगिकी की कार्यवाही भी करता है और आर्टिक, अंटार्टिक तथा दक्षिणी समुद्री अनुसंधान का नोडल वादक भी है। मंत्रालय का अधिदेश सुएकीकृत रूप में वायुमंडलीय विज्ञान, समुद्री विज्ञान व प्रौद्योगिकी तथा भूकंपविज्ञान की देखरेख करना है।

पृथ्वी आयोग, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय आयोग की संरचना के आधार पर मिशन मोड में काम करते हैं जो नीतियों के संरूपण, नीतियों व कार्यक्रमों के मिशन मोड में कार्यान्वित करने के ‍निरीक्षण तथा आवश्यक अन्तरअनुशासनिक एकीकरण सुनिश्चित करने का भी उत्तरदायी है।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का लक्ष्य, समुद्रविज्ञान, मौसम विज्ञान, जलवायु, पर्यावरण और भूकंपविज्ञान में राष्ट्रीय कार्यक्रमों से समुद्र, वायुमंडल और ठोस पृथ्वी नामक पृथ्वी प्रणाली के मूल घटकों के जटिल आपसी अन्योन्य क्रिया की रूपरेखा का सृजन है।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन विभिन्न एकक है: भारत मौसम विभाग (भा मौ वि), राष्ट्रीय मध्य दूरी मौसम पूर्वानुमान केंद्र(रा म द मौ पू कें), भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान(भा उ मौ वि सं) पूने, राष्ट्रीय पृथ्वी विज्ञान अध्ययन केंद्र(रा पृ वि अ कें) तिरुवनन्तपुरम और भूकंप खतरा मूल्यांकन केंद्र(भू ख मू कें) जो वायुमंडलीय विज्ञान व भूकंप विज्ञान सेक्टर के अधीन है; राष्ट्रीय समुद्री प्रौद्योगिकी संस्‍थान (रा स प्रौ सं) चेन्नै, राष्ट्रीय अंटार्टिक व समुद्री अनुसंस्थान केंद्र (रा अ स अ कें) गोवा, भारतीय राष्ट्रीय समुद्री सूचनायें केंद्र (भा रा स सू कें), हैदराबाद, एकीकृत तटीय एवं समुद्रीय प्रबंधन परियोजना निदेशालय (ए त स प्र प नि) चेन्नै और सागर विज्ञान व प्रौद्योगिकी सेक्टर के अधीन समुद्री जीव संपत्ति व परिस्थिति विज्ञान केंद्र (स जी सं प वि कें) कोची