marine science

तटीय क्षेत्र के बारे में विगत अधिकांश अध्ययन तटीय प्रसंस्करण और चालक शक्तियों पर बृहत मापमान में हुए हैं। उच्चतर उपस्करों और न्यूमरिकल मोडलिंग क्षमताओं से नीयरशोट डायनामिक्स,बीच सर्फ जोन मोरफोलोजिकल मोड़िफिकेशन्स, कोस्टल हाइड्रोलोजी, मड़बैंक डायनामिक्स और इस्टरइन डायानामिक्स के सूक्ष्म अध्ययन एवं उचित बीच और इस्टरइन प्रबंधन योजनाओं की संरचना साध्य है। न्यूमरिकल मॉडलिंग तकनीक के ज़रिए प्रदूषण और जैविक प्रसंस्करण से मिला कर नदीमुखों के भौतिक प्रसंस्करण के अध्ययन का परिणाम सूक्ष्म स्तरीय नदीमुखीय प्रबंधन योजनाएं होगा। भारी खनिज संसाधनों के उच्च प्रयोग के लिए किसी भी प्रस्तावित तट पर चालू तटीय प्रक्रिया और सोर्स-सिंक संबंध से तलछट अनुमान की समझदारी भी आवश्यक है।

ऑफशोर वेब और करंट मेषरमेंट की सुविधाओं से फील्ड स्टेशनों की संस्थापना कन्याकुमारी-कोल्लम, तृशूर-कोषिक्कोड तटीय फील्ड स्टेशनों में बीच सर्फ ज़ोन अनुरक्षण हेतु वीडियो इमजिंग व्यवस्था स्थापित की जायेगी। प्रत्येक अध्ययन क्षेत्र में बीच कप्स जैसे सूक्ष्मस्तरीय बीच मोरफोलोजिकल फार्म्स के निरीक्षण के साथ बीच प्रोफाइलिंग रिथमिक मोर्फोलोजीस और लोंगषोर बार्स भी किया जायेगा। शोरलाइन परिवर्तन, बीच-नीयरशोर मोरफोलोजिकल बदलाव, प्लेसर हाइड्रोडायनामिक्स एवं ग्रेडिंग, मडबैंक डायनामिक्स और नीयरशोट सेड़िमेंट ट्रांसपोर्ट प्राप्त करने हेतु आंकड़े का संसाधार किया जायेगा। तटीय प्रक्रियाओं के पूर्वानुमेय हेतु न्यूमेरिकल मॉडेल्स के मूल्यांकन एवं व्यास मापन के लिए आंकड़ों का पुन: प्रयोग किया जायेगा। तटीय जलविज्ञान अध्ययन विशेषकर सबमराइन्स ग्रौंडवाटर डिस्चार्ज संबंधी जाँच परंपरागत तकनीकी (रिमोट सेन्सिंग, रेसिस्टिविटी सर्वेक्षण और जलभूवैज्ञानिक सर्वेक्षण) और सितु अध्ययन (सीपेज मीटेर्स, मिनि पिज़ोमीटर्स और रैंटम मापमान) से किया जायेगा। कन्याकुमारी-कोल्लम सेक्टर के अन्दर पहचान किये गये स्थानों वार्षिक निर्गमन दर और न्यूट्रीयन्ट ट्रांसपोर्ट के सृजन के लिए भी आंकड़े का प्रयोग होगा। वलप्पट्टनम नदीमुख के बाथीमट्री, जियोमट्री, हाइड्रोडायनामिक्स, सेड़िमेंट, भौतिके पर्यावरण विशेषताएँ और प्रदूषण भार का समाहरण भी करेंगे। नदीमुख प्रबंधन योजना के सृजन के लिए नदीमुख प्रक्रियाएं नमूना हो सकता है।